आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय ||आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय pdf ||आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय कक्षा 10

 आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय कक्षा 10 आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय कक्षा 10 




दोस्तों आज हम देखेंगे कि किस तरीके से रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय लिख सकते हैं ताकि आपको 90 प्लस नंबर प्राप्त हो और मैंने किस तरीके से लिखा जो मेरे को 95% मार्क्स हिंदी में प्राप्त हुए दोस्तों अगर आप अच्छे से इसे लिखते हैं तो आपको बहुत अच्छे अंक मिलेंगे और यह तरीका आपको कहीं नहीं मिलेगा यह तरीका मेरा पर्सनल तरीका है जिसे मैंने अपने पेपर में यूज किया था और आप भी कर सकते हैं आपको भी अच्छे अंक प्राप्त होंगे दोस्तों यदि आप इसका पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आपको इसका पीडीएफ नीचे मिल जाएगा ताकि आप तब देख सकें जब आप ऑफलाइन हो आप उसे देख ले आपकी समझ में आ जाए तो दोस्तों चलिए शुरू करते हैं आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय
दोस्तों मैं आप को थोड़ा सा पैटर्न समझा दूं कि किस तरीके से आपने लिखना है सबसे पहले आपने जीवन परिचय लिखना है हेडिंग में उसके बाद आपको उनका साहित्यिक परिचय लिखना है साहित्यिक परिचय लिखना है यहां पर हम जीवन परिचय के अंदर उनका जीवन परिचय लिखेंगे जिनमें जिसमें उनके जन्म स्थान और मृत्यु तक की बात होगी और साहित्यिक परिचय में हम उनकी रचनाओं की बात करेंगे चलिए शुरू करते हैं


आचार्य रामचंद्र शुक्ल


जीवन परिचय आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म सन 18 सो 84 ईस्वी मैं बस्ती जिले के आगो ना नामक ग्राम में हुआ था इनके पिता का नाम चंद्रबली शुक्ल था एफ ए इंटरमीडिएट में आने के बाद इनकी शिक्षा बीच में छूट गई इन्होंने स्वाध्याय से हिंदी अंग्रेजी संस्कृत बांग्ला उर्दू फारसी आदि कई भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया आनंद कादंबिनी में उनकी रचनाएं छपने लगी इन्होंने शब्द सागर के सहायक संपादक का कार्यभार संभाला उनकी गिनती उच्च कोटि के विद्वानों में होने लगी कुछ समय पश्चात वे काशी विश्वविद्यालय के हिंदी वाक्य अध्यापक नियुक्त किए गए तथा वहां बाबू श्यामसुंदर दास के बाद हिंदी भाग के अध्यक्ष हो गए जीवन भर हिंदी साहित्य की साधना में संलग्न रहते हुए हिंदी का यह प्रकांड पंडित सन 1941 ईस्वी को स्वर्ग में सुधार गया रामचंद्र शुक्ल जी ने अपनी सारी रचनाएं हिंदी साहित्य को समर्पित कर हिंदी को विश्व विख्यात कर दिया






साहित्यिक परिचय 

शुक्ला जी ने लेखक का प्रारंभ कविता से किया था नाटक लिखने की ओर भी इनकी रूचि रही परंतु उनकी प्रखर बुद्धि उनको निबंध लेखन और आलोचना की ओर ले गई इन क्षेत्रों में उन्होंने जो स्थान बनाया वह आज तक बना हुआ है इन्होंने शैक्षिक दार्शनिक ऐतिहासिक सांस्कृतिक सामाजिक विषयों को अपनी रचनाओं का आधार बनाया


प्रमुख कृतियां आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की प्रमुख कृतियों का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार है
निबंध चिंतामणि विचार विधि
आलोचना रस मीमांसा त्रिवेणी
इतिहास हिंदी साहित्य का इतिहास
संपादन भ्रमरगीत सार आनंद कादंबिनी तुलसी ग्रंथावली हिंदी शब्द सागर नागरी प्रचारिणी पत्रिका भ्रमरगीत सार इत्यादि
कविताएं अभिमन्यु वध और 11 वर्ष का समय


भाषा और शैली शुक्ला जी की भाषा का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है-

a) भाषा :-भाषा पर शुक्ला जी का पूर्ण अधिकार था उनकी सभी रचनाओं में शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग हुआ उनकी परिष्कृत भाषा में संस्कृत की तत्सम शब्दावली की प्रधानता है किंतु उसमें स्पष्ट ता विद्यमान है उनकी परिष्कृत भाषा में संस्कृत शब्दावली की प्रधानता है कहीं-कहीं उर्दू फारसी और अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग हुआ है किंतु उनकी भाषा अत्यधिक सरल और व्यवहारिक है इसमें उन्होंने संस्कृत निष्ठ भाषा के स्थान पर हिंदी की प्रसिद्ध शब्दावली का प्रयोग किया जहां तहां उर्दू फारसी और अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग भी किया

b) शैली शुक्ल जी की रचनाओं में प्राइम लिखित शैलियों के दर्शन होते हैं

वर्णनात्मक शैली विवेचनात्मक शैली व्याख्यात्मक शैली आलोचनात्मक शैली इत्यादि
साहित्य में स्थान शुक्ला जी हिंदी साहित्य में द्वितीय स्थान रखते हैं वह हृदय से कवि मस्तिक से आलोचक तथा एक प्रभावी अध्यापक थे उन्होंने अपनी साहित्यिक प्रतिभा से हिंदी समालोचना के क्षेत्र में क्रांति उत्पन्न कर दी निबंध के क्षेत्र में भी यह अपने युग के सर्वश्रेष्ठ प्रभावशाली लेखक सिद्ध हुए उनकी विलक्षण प्रतिभा के कारण ही उनके समकालीन हिंदी गद्य के काल को शुक्ल युग के नाम से संबोधित किया जाता ह








पेपर में जीवन परिचय कैसे लिखें आसान शब्दों में


दोस्तों यह थी आज का हमारा ब्लॉग जिसमें आपने आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय देखा और यदि आप ऐसी से पेपर में लिखेंगे तो आपको भी अच्छे अंक मिलेंगे और आप अच्छे अंक ला पाएंगे

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